नई
चुनौतियों के लिए हो जाएं तैयार
हर नया दिन एक नई चुनौती के साथ शुरू होता है, हर नया समय नए संघर्ष
का साक्षी होता है। नए
वर्ष में बीती बातों को भुलाकर नए सपनों के साथ एक ताजा शुरुआत करें। बेफिक्र, बेखौफ और बेतकल्लुफ
होकर नए वर्ष का आगाज करें।
कहते हैं आगाज अच्छा हो तो अंजाम भी बेहतर होता है।
खुश रहें और दूसरों को भी खुशियां बांटें। किसी रोते हुए को हंसा
दें,किसी नाउम्मीद के दिल
में आशा की नन्ही सी किरण
ढूंढें, किसी जरूरतमंद की थोडी
सी मदद कर दें। यही तो जिंदगी है! आपका नया वर्ष मंगलमय हो!
चुनौतियों को स्वीकार करना ही सफलता की कुंजी है। जिस
दिन व्यक्ति ऐसा नहीं करेगा, वह मर जाएगा।
नई उमंगों, नई तरंगों, नए संकल्पों और नए
ख्वाबों से लबरेज एक नई सुबह रात के अंधेरे को चीरकर
हमारे आंगनों में उतरने लगी है। फिर दीवारों ने बदले हैं कैलेंडर, चिडियों के राग मधुर हो
गए हैं। समूची कायनात नए अंदाज में नजर आ रही है।
शोर-शराबे, धूम-धडाके और मौज-मस्ती
के बीच नए साल का आगाज हो गया है। ऐसे में चुप
क्यों रहें। क्यों न कोई नई धुन बनाएं और कुछ गुनगुनाएं। कोई नई राह
ढूंढें और शब्दों को कोई नए अर्थ दें।
नई खुशियां हैं तो नई चिंताएं भी हैं, नई इच्छाएं हैं तो
चुनौतियां भी। नई जंग के लिए कमर कसें और कुछ नए संकल्प लें।
कार्य का नया ढंग
निजी विकास के लिए जरूरी है कि जीवन में नई चुनौतियां
लें। नए लोगों के साथ काम करें। भिन्न स्वभाव, दृष्टिकोण और अनुभव
वाले लोगों के साथ काम करने से बडी चुनौती दूसरी
नहीं है। सामाजिक भय से मुक्त होकर नए दृष्टिकोण के साथ खुद से बिलकुल
भिन्न व्यक्तियों के साथ काम करके देखें। इस चुनौती को स्वीकारें, नए एहसास आगे बढने को
प्रेरित करेंगे।
जिम्मेदारी और नेतृत्व
सफलता मेरी है तो विफलता के लिए भी मैं ही जिम्मेदार
हूं। इस सच को स्वीकार करें। घर-बाहर की जिम्मेदारियों का निर्वाह
टीम भावना से करना महत्वपूर्ण है। टीम का अर्थ यह है
कि सबके विचार सुने जाएं और सर्वसम्मति से सही निर्णय तक पहुंचा जाए।
कभी कूटनीति से तो कभी स्पष्टता से बात कहने का तरीका भी समूह में काम
करने के दौरान ही आता है।
विविधता का आनंद
कहते हैं, विविधता जिंदगी को
ज्यादा जीवंत बनाती है और एकरसता उसे उबाऊ बना देती है। सबका मकसद
खुशी पाना है और खुशी काम से मिलती है। अलग-अलग तरह के काम करना, कठिन कार्यो को चुनौती
की तरह स्वीकार करना और इन सबके बीच मनोरंजन के पलों का
आनंद उठाना ही खुश रहने का मंत्र है।
सच को स्वीकारें
क्या हम अपनी योग्यता, क्षमता, सीमा और गुणों-अवगुणों
को पहचानते हैं? खुद को हम वास्तविकता में
जानते हैं या अपनी आदर्श छवि हमने मन में बना रखी है? बाइबिल में कहा गया है, सत्य आत्मा को स्वतंत्र
करता है। खुद की सही तसवीर देखें। यदि हम बदलाव
चाहते हैं तो तथ्यों को वैसे स्वीकारें जैसे कि वे हैं, न कि जैसा हम उन्हें
देखना चाहते हैं। तभी हम खुद में अपेक्षित परिवर्तन कर पाएंगे।
जो बीत गई सो बात गई
नॉस्टैल्जिक होना बुरा नहीं है, लेकिन अतीत में जीना और
उसे ढोना बुरा है। हिंदी के प्रसिद्ध कवि
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की एक पंक्ति है, लो अतीत से उतना ही जितना पोषक
है..। बीते वर्ष कुछ अच्छा
किया है तो उसे उभारें। गलतियां हुई हैं तो उनसे सबक लें, उन्हें आइंदा न
दोहराएं। मनुष्य हीगलतियां करता है और उन्हें सुधारने की कूवत भी उसमें ही है।
समय कभी रुकता नहीं
समय प्रबंधन सबसे बडी जरूरत है आज की। समय किसी के
लिए नहीं रुकता। इसलिए सही समय पर सही निर्णय लेना ही समझदारी है।
जीवन की दुश्वारियों से घबराने के बजाय उनका सामना
करें। व्यावहारिक बनें, समय के साथ चलें, खुद को अपडेट रखें और
सकारात्मक रहें। नई ऊर्जा, नए आत्मविश्वास और नई आशा
के साथ इस नए साल का स्वागत करें।
पॉलिटिकली
करेक्ट क्यों
हमेशा पॉलिटिकली करेक्ट नहीं रहा जा सकता। कभीकभार
साफगोई भी जरूरी है। फिल्म थ्री इडियट में राजू (शरमन जोशी) जब
इंटरव्यू बोर्ड को अपनी जीवन-स्थितियों के बारे में सब-कुछ सच
बताता है तो बोर्ड मेंबर्स कुछ पल के लिए खामोश रह जाते हैं
कि एक ऐसा व्यक्ति जो ईमानदारी और साफगोई से अपने बारे में बता रहा है, कंपनी के हक में सही
साबित होगा! लेकिन बाद में वे उसे वापस बुलाते हैं।
अब कंपनियां भी ऐसे लोगों को पसंद करती हैं, जो निडर होकर अपनी बात रख सकें
।
काम का माहौल बनाएं
सहकर्मियों व बॉस के बीच गरिमापूर्ण संबंध जरूरी है।
बॉस से संबंध अच्छे नहीं हैं तो काम का माहौल बेहतर नहीं हो
सकता। सकारात्मक वातावरण में ही अच्छा काम संभव है, इसलिए छोटी-छोटी बातों
को तूल न देकर समझदारी से गलतफहमियां दूर करनी चाहिए।
फल की इच्छा भी करें
गीता में श्रीकृष्ण ने कहा था, कर्म करो, फल की इच्छा मत करो। यह
आदर्श स्थिति व्यावहारिक
संसार में संभव नहीं है। कठिन मेहनत के बावजूद यदि सही रिजल्ट न मिले तो
कुंठाएं पैदा होती हैं। ऐसी स्थितियां लगातार जारी हों तो खुद का मूल्यांकन करना
जरूरी है। वरिष्ठ अधिकारियों के सामने भी अपनी बातरखी जानी चाहिए।
रिज्यूमे हो आकर्षक
दौर खूबसूरत पैकिंग का है। अपने सी.वी. को आकर्षक
क्यों न बनाएं! कोई भी संस्थान महज एक इंटरव्यू में व्यक्ति को
नहीं जान सकता। सही डिटेल्स रिज्यूमे द्वारा ही पता
चलती हैं। सही रिज्यूमे के प्रति सभी आकर्षित होते हैं। खुद तैयार न कर
सकें तो एक्सपर्ट की मदद लें।
काम से हो काम
काम, काम और काम...भरोसा
सिर्फ अपने काम पर रखें। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। कठिन मेहनत से
ही व्यक्ति मंजिल तक पहुंच सकता है। अंतत: काम ही बोलता है, इसलिए सिर्फ अपने काम
से ही काम रखें।
समय का महत्व
हम अगर
प्रयास करे तो कुछ भी कर सकते है कुछ भी पा सकते है लेकिन अपने जीवन के लिए
निर्धारित समय में एक पल की भी वृधि कर पाना संभव नहीं है ! हमें निर्धारित समय
में अपना लक्ष्य हासिल करना होता है ! यदि हमें लेखक, इंजीनियर, डॉक्टर आदि बनाना है तो तय समय में लगातार प्रयास करना होता है तभी हम अपने
लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते है !
समय का महत्व
तो उन नेताओ से पूछिए जो इलेक्सन हार जाते हे और पांच साल इंतजार करना परता है, समय का महत्व तो उन छात्रों से पूछिए जो
परीक्षा में फ़ैल हो जाता है और एक साल इंतजार करना परता है, समय का महत्व तो उन रोगीओ से पूछिए जो
केवल एक महीनो का मेहमान है,
समय का महत्व
तो उन यात्रिओ से पूछिए जो पांच मिनट लेट से आने के कारन उनकी ट्रेन छुट गई !
फिर भी लोग
इसकी महत्व को समझ नहीं पाते .............
क्यों अपनी कमजोरियों को छुपाते हैं छात्र
..................
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग किसी बिंदु पर नहीं
जानते हुए भी उस कमजोरी को छुपाने का काम करते है जो एक दिन उनके लिए घातक हो जाता
है, और
बाद में उसी बातों को जानने में शर्म लगती है किसी ने
कहा है कि “ जानकारी लेना हो तो किसी से ले लिजिए चाहे वो बच्चा क्यों नहीं हो”
“ सिखने कि उम्र नहीं
होती
जानकारी कभी सिमित नहीं होती !
उम्र ही छोटी हो जाती है सीखते-
सीखते,
कम उम्र में भी कारवां बना लेते है कुछ लोग”
अमित कुमार गौतम